निर्मल हिंडन अभियान के तहत चलाई जा रही मुहिम का असर थोड़ा ही सही मगर धीरे-धीरे दिखने लगा है. मंजिल अभी दूर है और सफर बेहद लंबा मगर धीरे-धीरे पूरी टीम सकरात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रही है. मेरठ मंडल के मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार के निर्देशन में चलाया जा रहा यह अभियान अपने सही रास्ते पर चल रहा है ऐसा हमारा कहना नहीं बल्कि कृष्णी नदी में आए परिवर्तन के बाद लग रहा है. 29 नवंबर को निर्मल हिंडन अभियान की टीम अब तक हुए कार्यों की समीक्षा और उसका असर देखने के लिए हिंडन, कृष्णी नदी और काली पश्चिम नदी पहुंची. इन नदियों का निरीक्षण और उसका सर्वे किया गया साथ ही जगह-जगह पानी के नमूने भी लिए गए और नदी किनारे बसे तीर्थों की महत्ता को भी समझने का प्रयास किया. हिंडन को पंचतीर्थी भी कहा जाता है और यही मकसद था कि इसको हम किस तरह से निर्मल हिंडन अभियान से जोड़कर देख सकते हैं. 

पूरी टीम जब बरनावा में कृष्णा नदी के किनारे पहुंची तो उनके लिए यह सुखद अहसास था कि कृष्णा नदी जोकि हिंडन की प्रमुख सहायक नदी है उसका तल चमकने लगा है अर्थात पानी के अंदर का भाग दिख रहा था साथ ही इस नदी के पानी को पशु-पक्षी भी पी रहे थे और अपनी प्यास बुझा रहे थे. नदी को पहले से कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में देखकर टीम को अचरज भी हुआ और खुशी भी. वास्तव में पहले यहां का पानी काला और बदबूदार हुआ करता था. पानी की दुर्गंध लोगों को नाक ढकने तक को विवश कर देती थी मगर इतनी जल्दी इस नदी में आए बदलाव को देख टीम काफी उत्साहित दिखी. सर्वे के दौरान टीम को यहां के किसानों ने बातचीत में बताया‌ कि कृष्णी नदी का पानी पहले से काफी बेहतर हुआ है और पानी पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा साफ दिख रहा है. 

निर्मल हिंडन अभियान कार्यक्रम के तहत मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार और टीम के द्वारा उद्योगों से निकलने वाले कचरे और पानी की लगातार निगरानी की जा रही है तथा शहरों और गांव के घरेलू पानी को शोधित करने की योजना पर भी कार्य चल रहा है. ऐसे में कृष्णी नदी का पानी साफ होना एक बेहतर संकेत है. इससे यह भी उम्मीद जगी है कि निरंतर प्रयास में लगे रहने से हिंडन की दूसरी सहायक नदियों के साथ-साथ हिंडन को भी प्रदूषण मुक्त कराने में बहुत हद तक सफल हुआ जा सकता है.

इस दौरान टीम ने पानी के नमूने भी एकत्र किए जहां पहला नमूना हिंडन नदी में जानी स्केप से पानी डलने के महज दो किलोमीटर आगे लिया गया. तो वहीं पुरामहादेव के समीप ही बने हिंडन पुल पर जानी स्केप से हिंडन नदी में पानी डलने से पहले दूसरा पानी का नमूना लिया गया. तीसरा नमूना बड़नावा में स्थित हिंडन नदी के पुल के नीचे से लिया गया.

पूरी टीम ने इसके साथ साथ हिंडन के पंचतीर्थी कहे जाने के महत्व को भी समझने की कोशिश की और हिंडन किनारे बसे इन पांचों तीर्थ स्थल का निरीक्षण किया. यह पांच तीर्थ स्थल है बरनावा लाक्षागृह, पुरामहादेव, बालेनी आश्रम, सुराना महादेव और दूधेश्वर महादेव. अपने इस यात्रा में बालैनी के लवकुश आश्रम के महंत ने हिंडन सुधार कार्य में पूर्ण सहयोग देने की बात कही और साथ ही लोगों से भी इसके लिए सहयोग करने की अपील की. वास्तव में हिंडन का पुराना नाम हरनंदी है और लोग इसे मां के तौर पर पूजनीय मानते हैं. ऐसे में निर्मल हिंडन अभियान के तहत लोगों को किस तरह से श्रद्धा के साथ जोड़ा जा सकता है जिससे कि लोग हिंडन को दूषित करने से खुद भी बचें और साथ ही इस अभियान में अपनी भी भूमिका निभा पायें. पूरी टीम का मानना है कि आम लोगों के सहयोग से ही हिंडन और उसकी सहायक नदियों को निर्मल बना पाने का लक्ष्य पूर्ण किया जा सकता है. मेरठ मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार और सहारनपुर के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने भी लोगों से अपील की है कि वह नदियों को प्रदूषण मुक्त और इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग दें. इनका भी मानना है कि आम जन के सहयोग से ही हम नदियों को निर्मल बना पाएंगे. सकारात्मक बात यह है कि इस अभियान में लोगों का भी सहयोग मिल रहा है. 

आपको बताते चलें कि हिंडन की प्रमुख सहायक नदी कृष्णी का उद्गम स्थल सहारनपुर जनपद के दरारी गांव से है और वहां से निकल कर वह शामली और बागपत होते हुए तकरीबन 153 किलोमीटर का सफर तय करके बरनावा में हिंडन नदी में जा मिलती है.

निर्मल हिंडन अभियान के इस यात्रा में नीर फाउंडेशन के निदेशक रमनकांत त्यागी और साथ ही निर्मल हिंडन के समन्वयक धर्मवीर कपिल मौजूद रहे. इस पूरे अभियान में बैलेटबॉक्सइंडिया की टीम का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है. इस यात्रा के दौरान भी बैलेटबॉक्सइंडिया की टीम मौजूद रही और उसके सीनियर रिसर्चर और जनर्लिस्ट स्वर्णताभ तथा अमित कुमार भी मौजूद रहें.